सुनके भी ना सुनना है
मुझको तुझसे बच के रहना है
मुश्किलों में पड़ना नहीं है अब मुझे
बस अपनी राहों में चलना है मुझे
हाँ..
आवाज़ नहीं तू है मेरा एक फ़ितूर
छोड़ दे मुझको
छोड़ दे तू
रहना तू मुझसे दूर
दिल के जो क़रीब है
वो पास है मेरे
सदा ना दे मुझे ना आऊँ पास मैं तेरे
ये है मेरी दुनिया
नहीं खोना है इसको
क्यूँ सनन-सनन सदाएं दे बुलाए तू
अंजान जहाँ..
अंजान जहाँ..
अंजान जहाँ…
चाहती है क्या
क्यूँ नींदें चुराती है
हो ना जाए कोई ग़लती
मुझे क्यूँ सताती है
या बेचैनी है क्या तुझमें भी ऐसी
क्या दिल में है हलचल कुछ मेरे जैसी
हाँ इस दिल में जो दबा है
वो बढ़ता है जुनून
डर है तुझको पा के ख़ुद को खो ना दूँ
है अंजान जहाँ..
अंजान जहाँ..
अंजान जहाँ…
हो.. तू क्या है
तू कहाँ है
तू क्यूँ है
तू जहाँ है
आ..आ.. आ..
तनहा ना छोड़ अब मुझे इस तरह यूँ
ले चल संग मुझको तू
उस अंजान जहाँ..
Anjaan Jahaan was written by Kausar Munir.