मेरे देश की धरती...
ओ, मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती
मेरे देश की धरती...
(मेरे देश की धरती...)
(मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती)
(मेरे देश की धरती...)
(मेरे देश की धरती...)
बैलों के गले में जब घुँघर जीवन का राग सुनाते हैं
(जीवन का राग सुनाते हैं)
गम कोसों दूर हो जाता है, खुशियों के कँवल मुसकाते हैं
(खुशियों के कँवल मुसकाते हैं)
सुन के रहट की आवाज़ें...
सुन के रहट की आवाज़ें, यूँ लगे कहीं शहनाई बजे
(यूँ लगे कहीं शहनाई बजे)
आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे
(दुल्हन की तरह हर खेत सजे)
ओ, मेरे देश की धरती...
ओ, मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती
ओ, मेरे देश की धरती...
(मेरे देश की धरती...)
जब चलते हैं इस धरती पे हल, ममता अँगड़ाइयाँ लेती है
(ममता अँगड़ाइयाँ लेती है)
क्यूँ ना पूजें इस माटी को, जो जीवन का सुख देती है
(जो जीवन का सुख देती है)
इस धरती पे जिसने जनम लिया...
इस धरती पे जिसने जनम लिया, उसने ही पाया प्यार तेरा
(उसने ही पाया प्यार तेरा)
यहाँ अपना-पराया कोई नहीं...
यहाँ अपना-पराया कोई नहीं, है सब पे माँ उपकार तेरा
(है सब पे माँ उपकार तेरा)
मेरे देश की धरती...
ओ, मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती
मेरे देश की धरती...
(मेरे देश की धरती...)
ये बाग़ है गौतम, नानक का, खिलते हैं अमन के फूल यहाँ
(खिलते हैं अमन के फूल यहाँ)
गांधी, सुभाष...
गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक, ऐसे हैं चमन के फूल यहाँ
(ऐसे हैं चमन के फूल यहाँ)
रंग हरा हरि सिंह नलवा से, रंग लाल है लाल बहादुर से
रंग बना बसंती भगत सिंह (रंग बना बसंती भगत सिंह)
रंग अमन का वीर जवाहर से (रंग अमन का वीर जवाहर से)
मेरे देश की धरती...
ओ, मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती
मेरे देश की धरती...
(मेरे देश की धरती...)
(मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती)
(मेरे देश की धरती...)
(मेरे देश की धरती...)
(मेरे देश की धरती...)
Mere Desh Ki Dharti was written by Gulshan Bawra.
Mere Desh Ki Dharti was produced by Kalyanji–Anandji.
Mahendra Kapoor released Mere Desh Ki Dharti on Sun Dec 01 1968.