धीरे चल, धीरे चल, ऐ भीगी हवा
के मेरे बुलबुल की है नींद जवाँ
के कहीं लागे ना किसी की उसे बदनज़र
के मीठे सपनों में खो गई है बेख़बर
के धीरे चल, धीरे चल, ऐ भीगी हवा
के मेरे बुलबुल की है नींद जवाँ
के कहीं लागे ना किसी की उसे बदनज़र
के मीठे सपनों में खो गई है बेख़बर
के धीरे चल, धीरे चल, ऐ भीगी हवा
के धीरे चल
चेहरा कहीं है, ज़ुल्फ़ें कहीं हैं
होश कहाँ है भला इस बहार में, इस बहार में
कलियों से केह दे, आज ना चीटके
चंपाकली है सोई इंतज़ार में, इंतज़ार में
अरे हो कितनी दिलकशी
छाई है बेख़ुदी, हाय मेरी बेबसी
के धीरे चल, धीरे चल ऐ भीगी हवा
के मेरे बुलबुल की है नींद जवाँ
के कहीं लागे ना किसी की उसे बदनज़र
के मीठे सपनों में खो गई है बेख़बर
के धीरे चल, धीरे चल, ऐ भीगी हवा
के धीरे चल
प्यार का भँवरा कहता है तुझे
ऐसी फ़िज़ा में रागनी न गा, रागनी न गा
नींद के साग़र टूट न जाएँ
मेरी क़सम तुझे शोर न मचा, शोर न मचा
अरे हो बादल बड़े-बड़े, पहरे पे हैं खड़े
दिल भी तो क्या करे
के धीरे चल, धीरे चल ऐ भीगी हवा
के मेरे बुलबुल की है नींद जवाँ
के कहीं लागे ना किसी की उसे बदनज़र
के मीठे सपनों में खो गई है बेख़बर
के धीरे चल, धीरे चल, ऐ भीगी हवा
के धीरे चल
मौजें रुकी हैं, शाखें झुकी हैं
कैसे सुनाए कोई दिल के राज़ को, दिल के राज़ को
जब वो जागेगी, किस्मत जागेगी
फिर मैं कहूँगा दिल के राज़ को, दिल के राज़ को
अरे हो आकाश चूम लूँगा, बिन पिए झुमलूँगा
दिल उसे नज़र दूँगा
के धीरे चल, धीरे चल, ऐ भीगी हवा
के मेरे बुलबुल की है नींद जवाँ
के कहीं लागे ना किसी की उसे बदनज़र
के मीठे सपनों में खो गई है बेख़बर
के धीरे चल, धीरे चल, ऐ भीगी हवा
के मेरे बुलबुल की है नींद जवाँ
के कहीं लागे ना किसी की उसे बदनज़र
के मीठे सपनों में खो गई है बेख़बर
के धीरे चल, धीरे चल ऐ भीगी हवा
के धीरे चल
Dheere Chal Ae Bheegi Hawa was written by Hasrat Jaipuri.
Dheere Chal Ae Bheegi Hawa was produced by Shankar - Jaikishan.
Mohammed Rafi released Dheere Chal Ae Bheegi Hawa on Fri Dec 01 1961.