सोचता हूँ, पियूँ, पियूँ, ना पियूँ
चाक-दामन सियूँ, सियूँ, ना सियूँ
देख कर जाम कश्मकश में हूँ
क्या करूँ मैं, जियूँ, जियूँ, हाय, ना जियूँ
सावन के महीने में
एक आग सी सीने में
लगती है तो पी लेता हूँ
दो-चार घड़ी जी लेता हूँ
सावन के महीने में
चाँद की चाल भी है बहकी हुई
रात की आँख भी शराबी है
सारी क़ुदरत नशे में है जब चूर
अरे, मैंने पी ली तो क्या ख़राबी है?
सावन के महीने में
एक आग सी सीने में
लगती है तो पी लेता हूँ
दो-चार घड़ी जी लेता हूँ
सावन के महीने में
एक आग सी सीने में
लगती है तो पी लेता हूँ
दो-चार घड़ी जी लेता हूँ
सावन के महीने में
Sawan Ke Mahine Mein, Pt. 1 was written by Rajendra Krishan.
Sawan Ke Mahine Mein, Pt. 1 was produced by Madan Mohan.
Mohammed Rafi released Sawan Ke Mahine Mein, Pt. 1 on Wed Jan 01 1964.