Zeher by Kaam Bhaari
The music player is only available for users with at least 1,000 points.

Download "Zeher"

Zeher by Kaam Bhaari

Release Date
Fri Mar 29 2019
Performed by
Kaam-bhaari
Produced by
Shikhar Yuvraj Manchanda a.k.a. RĀKHIS
Writed by
About

Zeher is all about the truth and bitterness of the life that we live on daily basis. How your karma pays you back how you deceive people to make your things straight.

Zeher Lyrics

[Intro: Kaam Bhaari]
और मैं घुटने पर, दुआ में ख़ुशी भेजूं
तुझसे तेरा दुख लेकर
ये कश्मकश की..
ये कश्मकश की rush में जीने के मैं ढूंढू नुस्खे
ना बस में मेरे अब मैं बंदगी के ढूंढू चस्के
समां तो लापता है! मेरी इसमें क्या खता है?
कमा के मैं जमा के देता दिल से, ये वफ़ा है!
धमाके कर दूं तेरे घर पे बेटा मर्द हूं मैं!
पर वटा, तेरी मां के पग पे सर दूं मैं!

[Hook: Kaam Bhaari]
विषय है ये विष का, अब ज़िंदा कल मर जा
सर चढ़ जाएगा जब तब घर जा
तू लड़ जा या मर जा
डसने वाले लाख नाग कुछ तो अपने साथ साथ हैं
रात रात में जो काटें तुझको..

[Verse 1: Kaam Bhaari]
विषय है ये विष का, अब ज़िंदा कल मर जा
सर चढ़ जाएगा जब तब घर जा
तू लड़ जा या मर जा!
डसने वाले लाख नाग कुछ तो अपने साथ साथ हैं
रात रात में जो काटें तुझको, तेरे मन के सांप हैं
तू पापों में, किसी न किसी के श्रापों में
बहोत ताकत है!
पर अपने कर्म कभी गलत नहीं, दिमाग थोड़ा सटका है!
धर्म कभी गलत नहीं, इंसान किधर सच्चा है?
जलन!
भाई को भाई से सांई को (psycho) हम हैं मानते
फिर काय को हम ना जानते? क्यूं?
तेरा मालिक मेरा मालिक, एक है!
तू ला कालिख ख़ुद के चेहरे पे पोंछ दे..
सोच के, ज़हर सी ये बातें
ये लातें, ये खा के, मज़ा ले ये किक है
ये वो जो bad trip है! सज़ा देगी!
कुछ मेरी रज़ा लेके बैठे हैं महफ़िल में
दम ले और बक दे जो है दिल में कह भी दे!

[Hook: Kaam Bhaari]
विषय है ये विष का, अब ज़िंदा कल मर जा
सर चढ़ जाएगा जब तब घर जा
तू लड़ जा या मर जा!
डसने वाले लाख नाग कुछ तो अपने साथ साथ हैं!
रात रात में जो काटें तुझको..

[Verse 2: Kaam Bhaari]
१०१ (101)
मैं फ़िल्में बनाने में माहिर सा था!
और kill में villain कर के ज़ाहिर सा था!
लोगों में, इधर कुंआ उछर खाई है
डसते से शब्द, कैसे फ़सते देख भाई हैं!
तू मुझको kill कर या बन मेरा दिलबर
ऐ सपने मेरे, मेरे अपनों का तू bill भर
समंदर में नाव मेरी चल पड़ी
भूखे को भूख लगी, सूरज आया धूप लगी
कुछ तो कर!
सूखे को पानी की प्यास लगी, सांस दबी
मेरी बोले उठ के चल, टूट के बल चकनाचूर!
सितारे बनना चाहें सब हताश हैं, निराश हैं!
कोई रब से बोले, कुछ भी ना तो मेरे पास है!
कोई जग से बोले कब से कब तक हम से रगबत?
कोई दाख रस मांगे फ़िर भी मिलता शरबत!
यहां पे आहटें हैं, राहत है ना मिली रूह को
ये दिल में प्यार है पर, चाहत है ना मिली तुमको!
तू मेरा दिल ले, महफ़िल ले, ये feel ले!
ये नगरी मेरी, डगरी मेरी, तू chill ले!

(रात रात में जो काटें तुझको)

[Hook: Kaam Bhaari]
विषय है ये विष का, अब ज़िंदा कल मर जा
सर चढ़ जाएगा जब तब घर जा
तू लड़ जा या मर जा!
डसने वाले लाख नाग कुछ तो अपने साथ साथ हैं!
रात रात में जो काटें तुझको..

[Verse 3: Kaam Bhaari]
मैं शून्य था!
कल को आज दुनिया का!
पापी काम ना किए कभी, कदापि
छाती चौड़ी कर के लड़ते थे
हम तो करते थे जो करना था!
कर्म का, खाया अपने फल का ही निवाला
और वटाया सबको!
चलता बनाया!
जो थे खोटे लोग छोटे सोच के
सब दे हम उन्हीं को जो भी सच्चे लगते सोच के!
रखते हैं हम उन्हीं को जिनको चाहें फौज में
रक्त कम हैं, शब्द बम हैं, फ़ूटे तो क्षय है!

[Outro: Kaam Bhaari]
विजय है
विजय है हमारी हमेशा!
विजय है हमारी हमेशा!
विजय है हमारी हमेशा!
Peace!

Zeher Q&A

Who wrote Zeher's ?

Zeher was written by .

Who produced Zeher's ?

Zeher was produced by Shikhar Yuvraj Manchanda a.k.a. RĀKHIS.

When did Kaam-bhaari release Zeher?

Kaam-bhaari released Zeher on Fri Mar 29 2019.

Your Gateway to High-Quality MP3, FLAC and Lyrics
DownloadMP3FLAC.com