प्यार है या सज़ा, ऐ मेरे दिल, बता
टूटता क्यूँ नहीं दर्द का सिलसिला?
इस प्यार में हों कैसे-कैसे इम्तिहाँ
ये प्यार लिखे कैसी-कैसी दास्ताँ
या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
हो, या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
हो, प्यार है या सज़ा, ऐ मेरे दिल, बता
टूटता क्यूँ नहीं दर्द का सिलसिला?
कैसा है सफ़र वफ़ा की मंज़िल का
ना है कोई हल दिलों की मुश्किल का
धड़कन-धड़कन बिखरी रंजिशें
साँसें-साँसें टूटी बंदिशें
कहीं तो हर लमहा होंठों पे फ़रियाद है
किसी की दुनिया चाहत में बर्बाद है
या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
हो, या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
कोई ना सुने सिसकती आहों को
कोई ना धरे तड़पती बाँहों को
आधी-आधी पूरी ख़्वाहिशें
टूटी-फूटी सब फ़रमाइशें
कहीं शक है, कहीं नफ़रत की दीवार है
कहीं जीत में भी शामिल पल-पल हार है
या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
हो, या-रब्बा, दे-दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
हो, प्यार है या सज़ा, ऐ मेरे दिल, बता
टूटता क्यूँ नहीं दर्द का सिलसिला? हो-हो
ना पूछो दर्द बंदों से
हँसी कैसी, ख़ुशी कैसी
मुसीबत सर पे रहती है
कभी कैसी, कभी कैसी
हो, रब्बा
रब्बा
रब्बा, हो
हो, रब्बा
Ya Rabba was written by Shankar Ehsaan Loy & Sameer.
Kailash Kher released Ya Rabba on Sat Dec 02 2006.