[Chorus]
आ काजल सी करी रात में चमके थारो रूप
रस नैन कटारी मार गई
मन में बस गयो थारो रूप
(थारो रूप…)
कभी लगे सपना है (थारो रूप…)
कभी लगे अपना है (थारो रूप…)
कभी लगे सपना है (थारो रूप…)
कभी लगे अपना है (थारो रूप…)
ये आसमान का चाँद है या है सुनहरी धूप
(थारो रूप…)
(थारो रूप…)
[Verse 1]
झील जैसी आँखें तेरी कितनी हैं प्यारी सनम
इनमें ही डूबा ये दिल, जाना तुम्हारी कसम
नज़रें मिली तो दिल ये मचल गया
जादू तेरा चल गया जाने अदा
ज़ुल्फ़ें उड़ी तो खुशबू बिखर गई
कलियां भी डर गई, महकी हवा
छन छन पायल छनकाए
चोर का दिल तड़पाए
तुम ही कहो कब तक हमदम
तन्हा रहे हम, सोचो ज़रा
तुम हो मेरी, अपना बनाएंगे
दिल में बसाएंगे, वादा मेरा
तुझ में ही पाया मैंने अपना जहाँ
[Chorus]
कभी लगे सपना है (थारो रूप…)
हेय कभी लगे अपना है (थारो रूप…)
कभी लगे सपना है (थारो रूप…)
कभी लगे अपना है (थारो रूप…)
ये आसमान का चाँद है या है सुनहरी धूप
(थारो रूप…)
(थारो रूप…)
[Verse 2]
प्यारी प्यारी ये फ़िज़ाएँ, प्यारी प्यारी ये डगर
ये हसीन हसीन नज़ारे कहते “प्यार कर”
सुन तो ज़रा, मचले हैं अरमान, ऐसे न शरमा
ओ मेरी जान, अब तो हम ज़िद पे अड़े
दर पे खड़े हैं कब से यहाँ
तन मारे हैं हिचकोले
गोरी घूंघट न खोले
तेरे लिए हम कब से कुंवारे, सिर्फ तुम्हारे
कर भी ले हाँ
बात है कुछ हम में भी यारा
दिलदारा, तू सोचे क्या
तुझ पे ही मरता है ये दिल, मेरी जान
[Chorus]
कभी लगे (थारो रूप…)
आ आ आ, कभी लगे (थारो रूप…)
कभी लगे सपना है (थारो रूप…)
कभी लगे अपना है (थारो रूप…)
ये आसमान का चाँद है या है सुनहरी धूप
(थारो रूप…)
[Outro]
कभी लगे सपना है (थारो रूप…)
कभी लगे अपना है (थारो रूप…)
कभी लगे सपना है (थारो रूप…)
कभी लगे अपना है (थारो रूप…)
कभी लगे सपना है (थारो रूप…)
कभी लगे अपना है (थारो रूप…)
कभी लगे सपना है (थारो रूप…)
कभी लगे अपना है (थारो रूप…)
Tharo Roop was written by Ravi Pawar & Shahab Allahabadi.
Sonu-nigam released Tharo Roop on Mon Jul 05 1999.