रोज़ शाम आती थी, मगर ऐसी ना थी
रोज़-रोज़ घटा छाती थी, मगर ऐसी ना थी
रोज़ शाम आती थी, मगर ऐसी ना थी
रोज़-रोज़ घटा छाती थी, मगर ऐसी ना थी
ये आज मेरी ज़िंदगी में कौन आ गया?
रोज़ शाम आती थी, मगर ऐसी ना थी
रोज़-रोज़ घटा छाती थी, मगर ऐसी ना थी
डाली में ये किसका हाथ कर इशारे बुलाए मुझे?
डाली में ये किसका हाथ कर इशारे बुलाए मुझे?
झूमती चंचल हवा छू के तन गुदगुदाए मुझे
हौले-हौले, धीरे-धीरे कोई गीत मुझको सुनाए
प्रीत मन में जगाए, खुली आँख सपने दिखाए
दिखाए, दिखाए, दिखाए, खुली आँख सपने दिखाए
ये आज मेरी ज़िंदगी में कौन आ गया?
रोज़ शाम आती थी, मगर ऐसी ना थी
रोज़-रोज़ घटा छाती थी, मगर ऐसी ना थी
अरमानों का रंग है जहाँ पलकें उठाती हूँ मैं
अरमानों का रंग है जहाँ पलकें उठाती हूँ मैं
हँस-हँस के है देखती, जो भी मूरत बनाती हूँ मैं
जैसे कोई मोहे छेड़े, जिस ओर भी जाती हूँ मैं
डगमगाती हूँ मैं, दीवानी हुई जाती हूँ मैं
दीवानी, दीवानी, दीवानी, दीवानी हुई जाती हूँ मैं
ये आज मेरी ज़िंदगी में कौन आ गया?
रोज़ शाम आती थी, मगर ऐसी ना थी
रोज़-रोज़ घटा छाती थी, मगर ऐसी ना थी
मगर ऐसी ना थी, मगर ऐसी ना थी
Roz Sham Aati Hai Magar Aesi was written by Majrooh Sultanpuri.
Roz Sham Aati Hai Magar Aesi was produced by Laxmikant-Pyarelal.
Lata Mangeshkar released Roz Sham Aati Hai Magar Aesi on Fri May 31 1974.