[Intro: Mujtaba Aziz Naza]
हो नज़रे करम, मुझपे देखो
थोरी सी नज़र भर के
हो नज़रे करम, मुझपे देखो
थोरी सी नज़र भर के
[Chorus: Mujtaba Aziz Naza]
कितनी मासूम बनती हो
नज़रों से तुम क़तल कर के
कितनी मासूम बनती हो
नज़रों से तुम क़तल कर के
तेरी आँखों की मंज़िल तक
तेरी आँखों की मंज़िल तक
कितनों ने किए हैं सफ़र चल के
कितनी मासूम बनती हो
नज़रों से तुम क़तल कर के
[Verse 1: Farhan Khan]
मैख़ानों पे मैख़ाने, ये दीवाना घूमा बहुत
पर जो तूने पिलायी, उस नशे का नहीं तोड़
मैं हूँ ख़ानाबदोश, ना ठिकाना ना ही होश
पिला दे मुझे थोड़ी फिर दिला दे चाहे मौत
भटकता फिरूँ, मुझे घर की तलाश है
मंज़िल मुसाफ़िर की तेरी निगाहें
चेहरे को छूती जो तेरी फ़िज़ा हैं
निगाह-ए-करम कर तू मुझको पिला दे
मैं बहकूँगा नहीं, तमन्ना है दीदार तेरा
मैं तेरे सिवा तुझसे पहले कुछ देखूँगा नहीं
मैं बन जाऊँ आँखों का सुरमा
लगा लेना मुझको तुम आँखों में, रह लूँगा वहीं
बस थोड़ी जगह तो तू दे
पिला दे तू, इतना सताती क्यों है?
ये आँखें शराबी क्यों हैं?
निगाहों से जानम पिलाती क्यों है?
[Verse 2: Mujtaba Aziz Naza]
नज़र से जो पिला दी है
मुझे बर्बाद कर डाला
तेरी आँखों में उतरा
दोनों आलम का नशा सारा
जो पी ले, होश वो खो दे
वो दुनिया से भटकता है
ये जिसको न मिली
वो रोज़ मरने को तरसता है
[Bridge: Mujtaba Aziz Naza]
तुम आँखों में शराबों का
समंदर ले के चलती हो
तुम आँखों में शराबों का
समंदर ले के चलती हो
किनारों पे है दिल ये
डूबने को बस तड़पता है
किनारों पे है दिल ये
डूबने को बस तड़पता है
[Chorus: Mujtaba Aziz Naza]
कितनी मासूम बनती हो
नज़रों से तुम क़तल कर के
कितनी मासूम हाय
कितनी मासूम हाय
कितनी मासूम बनती हो
बनती, बनती हो
कितनी मासूम बनती हो
नज़रों से तुम क़तल कर के
Masoom was written by Farhan Khan & Mujtaba Aziz Naza.
Masoom was produced by Mr. Doss.
Farhan Khan released Masoom on Thu Jun 05 2025.