Set on old school production and spooky samples, Khamakha, the second track, talks about people living on the streets. It is a dark track that paints a real-life picture on the condition of life and encourages society to speak up on things that actually matter.
[Intro]
Ah, मिसाल है ये ज़माने
Karan की ये beat है
Ah, नावेद असली नाम
Naezy सच में डीठ है
Ah, बहुत है तराने
अपना एक ही गीत है, ah
[Chorus]
Ah, ah, ah, ah कम हँसते रोते ज़यादा हम हैं रस्तों पे, रस्तों के
सुरक्षित है तू घर पे ना जा रस्तों पे बच तू बे
आदत है ये, आदत है ये, खामखा ये आदत है
हालत है, ये हालत है, बनाई हमने हालत है क्या
कम हँसते रोते ज़यादा हम हैं रस्तों पे, रस्तों के
सुरक्षित है तू घर पे ना जा रस्तों पे बच तू बे
आदत है ये, आदत है ये, खामखा ये आदत है
हालत है, ये हालत है, बनाई हमने हालत है क्या
[Verse 1]
सबसे अलग थे, अलग थे मसले
रातें जागते, माँ सुलाती
थपक-थपक के दिन में थकते
हँसते, रोते सिसक-सिसक के
यादें बीती, आँसू गिरते टपक-टपक के
बातें फिर भी सब छुपाते, सबर के पक्के
माँगे रब से जो है हक में
तड़प-तड़प के घर से निकलते, साथ रखते सबक के बस्ते
एक गलती भी है काफी, सड़क पे कब्ज़े, लूट ले वो दिन दहाड़े
पलक झपकते, लांघना तू मेरी बस्ती संभल-संभल के
[Chorus]
कम हँसते रोते ज़यादा हम हैं रस्तों पे, रस्तों के
सुरक्षित है तू घर पे ना जा रस्तों पे बच तू बे
आदत है ये, आदत है ये, खामखा ये आदत है
हालत है, ये हालत है, बनाई हमने हालत है क्या
कम हँसते रोते ज़यादा हम हैं रस्तों पे, रस्तों के
सुरक्षित है तू घर पे ना जा रस्तों पे बच तू बे
आदत है ये, आदत है ये, खामखा ये आदत है
हालत है, ये हालत है, बनाई हमने हालत है क्या
[Verse 2]
लड़की चलती, रास्ते जब भी
मटक-मटक के, तुझको लगता भाव देगी
गलत समझते, उसका हक है वैसे चलना
रक्षा करना तेरा फर्ज़
जहाँ गलते हो वहाँ फिर हम तो भड़कते फट्टे, लेते पंगे
रास्ते तंग हैं, लफड़े-देगे
ठोले-सुम्मे करते अंदर गिरते-पड़ते
लड़के भिड़ते टूटते-फूटते पड़ते डंडे
चढ़ते सब पे, लपक-झपक के
प्यादा-प्यादा, राजा-राजा
चमक-दमक में
बाकी सबको रहना पड़ता
कड़क अदब में
[Chorus]
कम हँसते रोते ज़यादा हम हैं रस्तों पे, रस्तों के
सुरक्षित है तू घर पे ना जा रस्तों पे बच तू बे
आदत है ये, आदत है ये, खामखा ये आदत है
हालत है, ये हालत है, बनाई हमने हालत है क्या
कम हँसते रोते ज़यादा हम हैं रस्तों पे, रस्तों के
सुरक्षित है तू घर पे ना जा रस्तों पे बच तू बे
आदत है ये, आदत है ये, खामखा ये आदत है
हालत है, ये हालत है, बनाई हमने हालत है क्या
[Outro]
हाँ, आदत है क्या, हालत है क्या
बनाई हमने रस्तों पे, रस्तों के
ग्राहक बाटली में
२-५० scheme है
कम छलांग धीमे
कक्षा आठवी में
कम हँसते रोते ज़यादा क्या रस्तों पे, रस्तों के
सुरक्षित है तू घर पे ना जा
चल तू आ जा, आ जा, आ जा
KHAMAKHA was written by Naezy.
KHAMAKHA was produced by Karan Kanchan.