हुस्न हाज़िर है मोहब्बत की सज़ा पाने को
हुस्न हाज़िर है मोहब्बत की सज़ा पाने को
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को
हुस्न हाज़िर है मोहब्बत की सज़ा पाने को
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को
मेरे दीवाने को इतना ना सताओ, लोगों
मेरे दीवाने को इतना ना सताओ, लोगों
ये तो वहशी है, तुम ही होश में आओ, लोगों
ये तो वहशी है, तुम ही होश में आओ, लोगों
बहुत रंजूर है ये, ग़मों से चूर है ये
बहुत रंजूर है ये, ग़मों से चूर है ये
ख़ुदा का ख़ास था, बहुत मजबूर है ये
ख़ुदा का ख़ास था, बहुत मजबूर है ये
क्यूँ चले आए हो?
क्यूँ चले आए हो बेबस पे सितम ढाने को?
कोई पत्थर से...
हाँ, कोई पत्थर ना मारे मेरे दीवाने को
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को
मेरे जलवों की ख़ता है जो ये दीवाना हुआ
मेरे जलवों की ख़ता है जो ये दीवाना हुआ
मैं हूँ मुजरिम, ये अगर होश से बेगाना हुआ
मैं हूँ मुजरिम, ये अगर होश से बेगाना हुआ
मुझे सूली चढ़ा दो के शोलों में जला दो
मुझे सूली चढ़ा दो के शोलों में जला दो
कोई शिकवा नहीं है, जो जी चाहे सज़ा दो
कोई शिकवा नहीं है, जो जी चाहे सज़ा दो
बख़्श दो इसको...
बख़्श दो इसको, मैं तैयार हूँ मिट जाने को
कोई पत्थर से...
हाँ, कोई पत्थर ना मारे मेरे दीवाने को
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को
पत्थरों को भी वफ़ा फूल बना सकती है
पत्थरों को भी वफ़ा फूल बना सकती है
ये तमाशा भी सर-ए-आम दिखा सकती है
ये तमाशा भी सर-ए-आम दिखा सकती है
लो अब पत्थर उठाओ ज़माने के ख़ुदाओं
लो अब पत्थर उठाओ ज़माने के ख़ुदाओं
तुम्हें मैं आजमाऊँ, मुझे तुम आज़माओ
तुम्हें मैं आजमाऊँ, मुझे तुम आज़माओ
अब दुआ अर्श पे...
अब दुआ अर्श पे जाती है असर लाने को
अब दुआ अर्श पे जाती है असर लाने को
कोई पत्थर से...
हाँ, कोई पत्थर ना मारे मेरे दीवाने को
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को
हुस्न हाज़िर है मोहब्बत की सज़ा पाने को
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को
Husn Hazir Hain was written by Sahir Ludhianvi.
Husn Hazir Hain was produced by Jaidev & Madan Mohan.
Lata Mangeshkar released Husn Hazir Hain on Thu Mar 25 1976.